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Chalisa Lyrics and Bhajan Lyrics

January 20, 2021 by Alok

Chalisa Lyrics and Bhajan Lyrics

दोहा श्री गुरु पद नमन करि, गिरा गनेश मनाय। कथूं रामदेव विमल यश, सुने पाप विनशाय।। द्वार केश से आय कर, लिया मनुज अवतार। अजमल गेह बधावणा.

Hanuman Ji ki Aarti Gulshan Kumar

Hanuman Bhajan: Hanuman Ji ki Aarti Gulshan Kumar (Jai Hanuman Gyan Gun Sagar, Jai Kapisa Tihun Lok Ujagar) Those who Chant Hanuman Chalisa Aarti Regularly with full devotion will definitely have very good Health & Wealth. Chanting the Hanuman Chalisa Aarti will relieve any kind of illness or adversity and bring Prosperity in one’s life.

Gulsan Kumar Hanuman Chalisa

हनुमान चालीसा * पर आधारित प्रश्नावली १ हनुमान चालीसा किसने लिखी नाम बताना २ हनुमान चालीसा मैं आऐ हनुमान जी कै ३ नाम बताओ ३ हनुमान चालीसा कै पाठ करनै पर किसका नाश?
मान्यता है कि हनुमान चालीसा के रचयिता तुलसीदास हैं. उन्होंने ही रामचरित मानस भी लिखा था. उनके नाम से तो हर कोई परिचित है. उन्होंने किन हालात में इसे लिखा, इसे लेकर कई किंवदंतियां प्रचलित हैं.

हनुमान चालीसा कैसे पढ़ते हैं?

Jaya Kishori

Jaya Kishori भारत की चर्चित कथाकारों में से एक हैं जया किशोरी। ये अपनी कथाओं के लिए तो लोकप्रिय है हीं साथ ही ये मोटिवेशनल स्पीच के लिए भी जानी जाती हैं। इनकी आवाज बेहद मधुर है जिसके चलते उन्होंने करोड़ों लोगों का दिल जीता है। Jaya Kishori: भारत की चर्चित कथाकारों में से एक हैं जया किशोरी।

Jaya Kishori

Jaya kishori Bhajan: जया किशोरी एक कथा व मशहूर भजन गायिका है. जया किशारी जी का भजन काफी ज्यादा सुना जाता है. ये अपने भजनों से तो कभी कथाओं से लोगों को जगाने का काफी प्रयास करती रहती हैं. जया किशोरी जी (Jaya kishori ji) बहुत कम उम्र में ही आध्यात्म के मार्ग पर चल पड‍़ी और बहुत कम समय के अंदर भारत के अलावा विदेशों में भी उनके लाखों श्रोता हो गए, जो उनके कथा वाचन को काफी पसंद करते हैं.

जया किशोरी सन् 1996 में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मीं जया का असली नाम जया शर्मा है. लेकिन भक्त उन्हें जया किशोरी के नाम से ही जानते हैं. यही नहीं, सोशल मीडिया पर इनके लाखों से करोड़ों भक्त हैं. यूट्यूब पर इनके कई भजनों को करोड़ों में व्यूज मिल चुके हैं. छोटी सी उम्र में ही भागवत गीता, नानी बाई का मायरो, नरसी का भात जैसी कथाएं जया किशोरी सुना रही हैं. 9 साल की उम्र में संस्कृत में लिंगाष्ठ्कम, शिव तांडव स्त्रोतम, रामाष्ठ्कम आदि कई स्त्रोतों को गाना शुरू कर दिया था, जो आज तक जारी है.

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Aarti Gulshan Kumar

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Hanuman Chalisa Aarti

हनुमानचालीसा चौपाई :

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।

Hanuman Chalisa Lyrics in Telugu

హనుమాన్ చాలీసా

దోహా
శ్రీ గురు చరణ సరోజ రజ నిజమన ముకుర సుధారి |
వరణౌ రఘువర విమలయశ జో దాయక ఫలచారి ‖
బుద్ధిహీన తనుజానికై సుమిరౌ పవన కుమార |
బల బుద్ధి విద్యా దేహు మోహి హరహు కలేశ వికార ‖

ధ్యానమ్
గోష్పదీకృత వారాశిం మశకీకృత రాక్షసమ్ |
రామాయణ మహామాలా రత్నం వందే-(అ)నిలాత్మజమ్ ‖
యత్ర యత్ర రఘునాథ కీర్తనం తత్ర తత్ర కృతమస్తకాంజలిమ్ |
భాష్పవారి పరిపూర్ణ లోచనం మారుతిం నమత రాక్షసాంతకమ్ ‖

చౌపాఈ
జయ హనుమాన జ్ఞాన గుణ సాగర |
జయ కపీశ తిహు లోక ఉజాగర ‖ 1 ‖

రామదూత అతులిత బలధామా |
అంజని పుత్ర పవనసుత నామా ‖ 2 ‖

మహావీర విక్రమ బజరంగీ |
కుమతి నివార సుమతి కే సంగీ ‖3 ‖

కంచన వరణ విరాజ సువేశా |
కానన కుండల కుంచిత కేశా ‖ 4 ‖

హాథవజ్ర ఔ ధ్వజా విరాజై |
కాంథే మూంజ జనేవూ సాజై ‖ 5‖

శంకర సువన కేసరీ నందన |
తేజ ప్రతాప మహాజగ వందన ‖ 6 ‖

విద్యావాన గుణీ అతి చాతుర |
రామ కాజ కరివే కో ఆతుర ‖ 7 ‖

ప్రభు చరిత్ర సునివే కో రసియా |
రామలఖన సీతా మన బసియా ‖ 8‖

సూక్ష్మ రూపధరి సియహి దిఖావా |
వికట రూపధరి లంక జలావా ‖ 9 ‖

భీమ రూపధరి అసుర సంహారే |
రామచంద్ర కే కాజ సంవారే ‖ 10 ‖

లాయ సంజీవన లఖన జియాయే |
శ్రీ రఘువీర హరషి ఉరలాయే ‖ 11 ‖

రఘుపతి కీన్హీ బహుత బడాయీ |
తుమ మమ ప్రియ భరత సమ భాయీ ‖ 12 ‖

సహస్ర వదన తుమ్హరో యశగావై |
అస కహి శ్రీపతి కంఠ లగావై ‖ 13 ‖

సనకాదిక బ్రహ్మాది మునీశా |
నారద శారద సహిత అహీశా ‖ 14 ‖

యమ కుబేర దిగపాల జహాం తే |
కవి కోవిద కహి సకే కహాం తే ‖ 15 ‖

తుమ ఉపకార సుగ్రీవహి కీన్హా |
రామ మిలాయ రాజపద దీన్హా ‖ 16 ‖

తుమ్హరో మంత్ర విభీషణ మానా |
లంకేశ్వర భయే సబ జగ జానా ‖ 17 ‖

యుగ సహస్ర యోజన పర భానూ |
లీల్యో తాహి మధుర ఫల జానూ ‖ 18 ‖

ప్రభు ముద్రికా మేలి ముఖ మాహీ |
జలధి లాంఘి గయే అచరజ నాహీ ‖ 19 ‖

దుర్గమ కాజ జగత కే జేతే |
సుగమ అనుగ్రహ తుమ్హరే తేతే ‖ 20 ‖

రామ దుఆరే తుమ రఖవారే |
హోత న ఆజ్ఞా బిను పైసారే ‖ 21 ‖

సబ సుఖ లహై తుమ్హారీ శరణా |
తుమ రక్షక కాహూ కో డర నా ‖ 22 ‖

ఆపన తేజ సమ్హారో ఆపై |
తీనోం లోక హాంక తే కాంపై ‖ 23 ‖

భూత పిశాచ నికట నహి ఆవై |
మహవీర జబ నామ సునావై ‖ 24 ‖

నాసై రోగ హరై సబ పీరా |
జపత నిరంతర హనుమత వీరా ‖ 25 ‖

సంకట సే హనుమాన ఛుడావై |
మన క్రమ వచన ధ్యాన జో లావై ‖ 26 ‖

సబ పర రామ తపస్వీ రాజా |
తినకే కాజ సకల తుమ సాజా ‖ 27 ‖

ఔర మనోరధ జో కోయి లావై |
తాసు అమిత జీవన ఫల పావై ‖ 28 ‖

చారో యుగ ప్రతాప తుమ్హారా |
హై ప్రసిద్ధ జగత ఉజియారా ‖ 29 ‖

సాధు సంత కే తుమ రఖవారే |
అసుర నికందన రామ దులారే ‖ 30 ‖

అష్ఠసిద్ధి నవ నిధి కే దాతా |
అస వర దీన్హ జానకీ మాతా ‖ 31 ‖

రామ రసాయన తుమ్హారే పాసా |
సదా రహో రఘుపతి కే దాసా ‖ 32 ‖

తుమ్హరే భజన రామకో పావై |
జన్మ జన్మ కే దుఖ బిసరావై ‖ 33 ‖

అంత కాల రఘుపతి పురజాయీ |
జహాం జన్మ హరిభక్త కహాయీ ‖ 34 ‖

ఔర దేవతా చిత్త న ధరయీ |
హనుమత సేయి సర్వ సుఖ కరయీ ‖ 35 ‖

సంకట క(హ)టై మిటై సబ పీరా |
జో సుమిరై హనుమత బల వీరా ‖ 36 ‖

జై జై జై హనుమాన గోసాయీ |
కృపా కరహు గురుదేవ కీ నాయీ ‖ 37 ‖

జో శత వార పాఠ కర కోయీ |
ఛూటహి బంది మహా సుఖ హోయీ ‖ 38 ‖

జో యహ పడై హనుమాన చాలీసా |
హోయ సిద్ధి సాఖీ గౌరీశా ‖ 39 ‖

తులసీదాస సదా హరి చేరా |
కీజై నాథ హృదయ మహ డేరా ‖ 40 ‖

దోహా
పవన తనయ సంకట హరణ – మంగళ మూరతి రూప్ |
రామ లఖన సీతా సహిత – హృదయ బసహు సురభూప్ ‖

हनुमान चालीसा लिरिक्स

॥दोहा॥

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥

॥चौपाई॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥

राम दूत अतुलित बल धामा ।
अञ्जनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥

महाबीर बिक्रम बजरङ्गी ।
कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥

कञ्चन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुञ्चित केसा ॥४॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥

सङ्कर सुवन केसरीनन्दन ।
तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥६॥

बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥७॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लङ्क जरावा ॥९॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥१०॥

लाय सञ्जीवन लखन जियाये ।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥११॥

रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥

सहस बदन तुह्मारो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥

तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना ।
लङ्केस्वर भए सब जग जाना ॥१७॥

जुग सहस्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥

दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुह्मरे तेते ॥२०॥

राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥

सब सुख लहै तुह्मारी सरना ।
तुम रच्छक काहू को डर ना ॥२२॥

आपन तेज सह्मारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥

भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।
महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥

नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥

सङ्कट तें हनुमान छुड़ावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥२६॥

सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिन के काज सकल तुम साजा ॥२७॥

और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥

चारों जुग परताप तुह्मारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥

साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥

अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥३१॥

राम रसायन तुह्मरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥

तुह्मरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥

अन्त काल रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥

और देवता चित्त न धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥३५॥

सङ्कट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥

जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥

॥दोहा॥

पवनतनय सङ्कट हरन मङ्गल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ॥

Hanuman Chalisa Written

Hanuman Chalisa Kya Hai? हनुमान चालीसा एक भक्ति भजन (स्तोत्र) है जो हनुमानजी को संबोधित है।

॥दोहा॥

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥

॥चौपाई॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥

राम दूत अतुलित बल धामा ।
अञ्जनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥

महाबीर बिक्रम बजरङ्गी ।
कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥

कञ्चन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुञ्चित केसा ॥४॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥

सङ्कर सुवन केसरीनन्दन ।
तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥६॥

बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥७॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लङ्क जरावा ॥९॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥१०॥

लाय सञ्जीवन लखन जियाये ।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥११॥

रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥

सहस बदन तुह्मारो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥

तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना ।
लङ्केस्वर भए सब जग जाना ॥१७॥

जुग सहस्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥

दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुह्मरे तेते ॥२०॥

राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥

सब सुख लहै तुह्मारी सरना ।
तुम रच्छक काहू को डर ना ॥२२॥

आपन तेज सह्मारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥

भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।
महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥

नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥

सङ्कट तें हनुमान छुड़ावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥२६॥

सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिन के काज सकल तुम साजा ॥२७॥

और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥

चारों जुग परताप तुह्मारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥

साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥

अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥३१॥

राम रसायन तुह्मरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥

तुह्मरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥

अन्त काल रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥

और देवता चित्त न धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥३५॥

सङ्कट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥

जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥

॥दोहा॥

पवनतनय सङ्कट हरन मङ्गल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ॥

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